मालूम हो कि शुरुआती गर्मी में ही सूर्य देवता ने अपनी आग बरसाती तपिश से लोगों कि जिंदगी की रफ्तार को धीमी कर दिया है, साथ ही गले की हलक को सुखा रखा है, ऐसे में सरकार के द्वारा राहगीरों के लिए सड़क किनारे सार्वजनिक स्थलों , और मुख्य बाजार में सरकारी चापाकल की व्यवस्था दी गई है , जहां की प्रतिदिन हजारों लोगों का आना जाना लगा रहता है, ऐसे जगहों में भी सरकारी चापाकलो का खराब रहना सरकारी सिस्टम की दुर्दशा को आईने की तरह साफ दिखाने को मजबूर कर रहा है। हालात रजौन मुख्य बाजार सहित, बस स्टैंड, कांग्रेस ऑफिस ,टेंपो स्टैंड, मोदी धान हटिया के पास की जर्जर होती सरकारी चापाकल की तस्वीर है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है । यहां तक कि बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत जल नल योजना की भी दयनीय स्थिति है बिछाई गई पाइप से 1 फीट ऊंचाई तक भी पानी चढ़ने का नाम नहीं ले रहा है जहां-तहां गुप्त रूप से छोटे मोटर लगाकर घरों के अंदर पानी सप्लाई खींची जा रही है, जिस कारण आगे सप्लाई बाधित हो रहा है।रजौन प्रखंड मुख्यालय से महज कुछ दूरी पर सरकारी चापाकल की स्थिति पर अगर प्रशासनिक पदाधिकारियों के द्वाराअगर थोड़ी सी इनायत करवा दी जाए तो कम से कम यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंचने वाले आसपास के क्षेत्रों के लोगों की हलक की प्यास बुझाई जा सकती है । मालूम हो कि रजौन मुख्य बाजार के अंतर्गत रजौन प्रखंड, अंचल कार्यालय, हॉस्पिटल, कॉलेज, पोस्ट ऑफिस, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बैंक्स और थाना आता है ,जहां कमोवेश प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग अपना काम करवाने पहुंचते हैं ,ऐसी स्थिति में कम से कम मुख्य बाजार स्थित चापाकल की स्थिति सुदृढ़ रहनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो पाता यह एक विसंगति है इसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि आने वाली मई जून-जुलाई में स्थिति और भयावह होगी। और सरकारी तंत्र व प्रशासनिक व्यवस्था महज एक मुकदर्शक के रूप में रहेगी। और बेचारी जनता बेचारी ही रह जाएगी।