संवाददाता गोपाल जी कश्यप की कलम से

कलम की स्याही से कुछ अपनी मन और हृदय की गहराई से स्वतंत्र भारत के अमृत महोत्सव मनाने की खुशी उत्साह और उमंग और और स्वतंत्रता दिवस पर कुछ शब्द ::-

आप से दुआएं हैं हमारी, मिल्लते बनाए रखना, देश, कॉम, वतन परस्ती से ऊंचा कुछ भी नहीं ,मोहब्बत ,नमकहलाली, ईमान से सच्चा कुछ भी नहीं, इसे अपने जिगर के हिस्से में संभाले रखना!
जरूरत जब आन पड़े इस मिट्टी की लाज बचाए रखना! सिंचना पड़े लाल खून से अगर अपनी, सरहद तुम बचाए रखना!
भारत मां की सौगंध गांधी, सुभाष ,पटेल ,जवाहर तुम वीर सावरकर, भगत, आजाद की कुर्बानी संजोए रखना!
मातृभूमि के खातिर आन पड़े जब रणभूमि में उतरने को, तुम कुंवर, प्रताप, टोपे, सुल्तान सा प्रलय दिखा जाना !
दुश्मनों का थरथर कांप उठे कलेजा, तुम ऐसा शौर्य दिखा जाना ,रणबांकुरे तुम तिलक, अशफाक ,सुखदेव, मंगल पांडे, सा गर्जन करना!
कांप उठे आसमां ,बिजली सी कौंध जाना, यह मिट्टी है शेरों की तुम अपनी दहाड़ से जग में एक नया इतिहास लिखा जाना!
देखो भारत की मिट्टी की ताकत जहां घर-घर दुर्गा काली बसती, होती पूजा कन्याओं की और जब जरूरत पड़ती आन वीरांगनाओं की तब निकलती तलवार म्यान से सोई शेरनी रानी की , रोम-रोम काँपा दुश्मन का सौ-सौ पर भारी पडती!
बेगम हजरत और सावित्री फुले कहां किसी से कम थी, एक बनी दुर्गा तो दूजा काली विकराल बनी !
हम भारत के लोग संयंम, धैर्य और शांति के पुजारी, मत हमसे कोई आंख मिलाना, मत लेना अंतिम परीक्षा, ना कोई हमें उकसाना,
हाथ मिलाओ के गले लगा लेंगे, दिल मिलाओगे जान लगा देंगे ,अगर दुश्मनी की हमसे गद्दारों की तरह, तो बन नरसिंह दुश्मन को जँघा पर रख चीरा लगा देंगे !

है भारत भूमि की सोंधी माटी की कसम, हम इस की आन, बान, शान के लिए खुद की बलि चढ़ा देंगे !

जय हिंद जय भारत!
वंदे मातरम !
जय जवान जय किसान !

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