अमर शहीद सतीश प्रसाद झा खरहरा द्वार की स्थिति खस्ता हाल

“जय हिन्द जय भारत”

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।जब भी सफर में चलते वक्त किसी शहीद के स्मारक पर नजर पड़ती है,तो उस वीर जांबाज दिलेर हिमालय सा जिगर रखने वाले सैनिकों के जज्बे को सलाम करने का मन करता है,सफर के दौरान कुछ क्षण रुक कर शीश नवाने का मन करता है , देश के लिए उनकी कुर्बानी से दो मिनट मौन खड़े होकर सैल्यूट करने का मन करता है,जी चाहता है उनके स्मृति विशेष पर उनके जज्बे को, उनके हिम्मत को,उनके इस मां भारती के लिए प्रेम को,अपने माथे पर तिलक करूं, जिस वीर सपूत ने भारत मां की रक्षा के खातिर जननी मां के गोद सुने कर दिए, हंसते-हंसते अपनी जान गवा दी ,अपने नाम शहीदी कर ली, ऐसे वीर बांकुरा ,शहीदों के लिए श्रद्धा से,शीश नवाने को मन करता है!देश के कोने कोने से ,शहरों से ,गांव से ,गलियों से ,कूँचो से जहां भी भारत मां के वीर सपूतों ने अपनी कुर्बानी देकर देश के इन जगहों ,गांव, कस्बों ,गलियों ,कूँचों का नाम ऊंचा किया ,ऐसे वीर भक्तों के लिए जिसने देश पर एक शिकन तक ना आने दी एक आँंच तक नहीं आने दिया, इनके बने स्मारक और शहीद द्वार की खस्ता स्थिति देखकर लज्जा महसूस होती है ! ऐसे वीर बांकुरे, देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों के स्मारकों से आने वाले देश के नौनिहालों को उनकी जांबाजी ,वीर गाथाओं और देश के प्रति प्रेम से अपने अंतर्मन में उतारने की प्रेरणा मिलती है ,नमन करने की, शीश झुकाने की और आने वाले समय में ,भविष्य में, देश का हर बच्चा युवा अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते तन से, मन से ,देश का सच्चा नागरिक और सैनिक के रूप में खुद को तरासता है ,उसी की स्मारक और शहीदी द्वार की खस्ता स्थिति देखकर मन रो उठता है! आज भारत देश भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है पूरे देश में कई कार्यक्रम इस उद्देश्य और खुशी में चलाए जा रहे हैं जिससे देश राष्ट्र का निर्माण हो सके लेकिन अगर इसी महोत्सव में हर घर आंगन से शहीदों की मिट्टी लेने का भी एक प्रेरणादाई कार्य भारत सरकार के द्वारा की जा रही है तो अगर इन शहीद स्मारक और शहीद द्वार पर भी अगर ध्यान आकर्षित हो जाए तो उन सैनिकों के लिए सच्ची भावपूर्ण श्रद्धांजलि होगी!” जय हिंद जय भारत”

शहीदों के स्मारकों शहीदों के नाम पर बने मुख्य द्वार की देखरेख रखरखाव भी उसी तरह होनी चाहिए जिस प्रकार देश का सर्वोपरि सर्वोच्च संसद भवन की होती है ,राष्ट्रपति भवन की होती है! क्योंकि सैनिक से, वतन है, हम हैं ,हमारी मातृभूमि है! उनकी इज्जत, सम्मान, प्रतिष्ठा में बने इन स्मारकों को सिर्फ कुछ चुनिंदा दिनों के लिए नहीं वरन हमेशा के लिए आकर्षक सुंदर बनाने की सोच हम सभी भारतवासियों को डालनी होगी !

“जय जवान जय किसान”

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