गंगारपुरसिटी. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे भले ही बहु तेरे किए जाते रहे हो लेकिन आजादी के दशकों बाद भी अभी कई गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर है वजीरपुर उपखंड के खरेरा गांव के ग्रामीणों के लिए आज भी पक्की सड़क सपने जैसी बात बनी हुई है आलम है कि ग्रामीणों को घुटनों तक कीचड़ से निकलने को मजबूर होना पड़ रहा है। वही बच्चे भी कीचड़ के चलते स्कूल जाने से कतराते नजर आते हैं। बुजुर्गों का तो मानव जीवन घर में ही कैद होकर रह गया है
ग्रामीण सुमेर सिंह मीणा बताते हैं कि खरेरा गांव की 1400 की आबादी होते हुए भी विकास के नाम पर आजाद पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है गांव का मुख्य रास्ता जो वजीरपुर उपखंड से होकर मस्जिद के सामने से गुजरता है जो करीब 500 मीटर तक घुटनों तक कीचड़ से सना हुआ है । रास्ते में नाई व दलित खटीक समाज की बस्ती बी पड़ती है बाबू प्रजापत के घर के सामने गंदा पानी और कीचड़ जमा होने से हालत और खराब हो रहे हैं जिसको लेकर कई बार शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है लेकिन अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है
कीचड़ के बीच स्कूल कैसे पहुंचे नौनिहाल
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल का रास्ता भी टीचर के बीच से गुजरता है ऐसे में गांव के एक सौ से अधिक बच्चे स्कूल जाने में कतराने लगे हैं बड़े बच्चे तो जैसे तैसे टीचर के बीच से निकल जाते हैं लेकिन कई छोटे बच्चों ने तो स्कूल जाना ही छोड़ रखा है ग्रामीणों कि एक सुर में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से मांग है कि पानी की निकासी के उचित इंतजाम कर पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए । ताकि ग्रामीणों की राह सुगम हो सके