रिपोर्ट:- गोपाल जी कश्यप.
हरतालिका तीज को लेकर बांका जिला क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर ब्रति अपनी पति के दीर्घायु सुखद वैवाहिक जीवन के लिए उपवास रखती है. यह व्रत दो दिनों तक चलता है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास मायने रखता है, इसमें महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला रहकर भगवान शिव और गौरी की पूजा आराधना करती हैं.
और अपने पति के कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं. हिंदू धर्म में यह पर्व पौराणिक काल से ही चल रहा है. ऐसी मान्यता है की माता गौरी भगवान शिव को पाने के लिए हरतालिका तीज की उपवास 24 घंटे तक निर्जला रहकर रखी थी तभी से यह परंपरा चली आ रही है!
माता पार्वती को भाद्रपद माह में उनकी सखियां हर कर जंगल ले गई थी। जिससे इस दिन का नाम हरतालिका तीज का नाम पड़ा।इस व्रत में हरतालिका तीज के सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक निर्जला रहा जाता है क्योंकि अगले दिन सूर्योदय पूर्व तक तृतीया तिथि होती है. उसके बाद पारण करते हैं.