बांका में प्रसूता की गई जान जच्चे बच्चे की मौत पर उठ रहा प्रश्न चिन्ह?

रजौन थाना क्षेत्र के कठौन गांव में बुधवार को एक प्रसूता महिला के 8 माह के गर्भ में दर्द होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रजौन से एंबुलेंस की अनुपलब्धता पर ई रिक्शा से रजौन अस्पताल लाने के क्रम में जच्चे बच्चे की हुई मौत पर अस्पताल परिसर में मचा कोहराम। मालूम हो कि आए दिन सरकार के द्वारा प्रसूता महिला कि पीछे कई प्रकार की सुविधा प्रदान की जा रही है, अस्पताल परिसर में कैंप के माध्यम से आशा कर्मियों सहित मरीजों को समय पर डॉक्टर की परामर्श सहित, समय पर दवाई लेने और पोषण आहार की बात बताई जाती है। बावजूद इसके इस तरह की घटना का होना हास्यास्पद है। रजौन चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ब्रजेश कुमार बताते हैं की डिलीवरी पेशेंट महिला की मौत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने के पूर्व ही हो चुकी थी, जिसकी पुष्टि डॉक्टर ने अस्पताल में देखते कर दी। जहां तक एंबुलेंस ना पहुंचने की बात है तो अस्पताल में मौजूद दोनों एंबुलेंस में से एक रेफर केस को लेकर भागलपुर गया हुआ था तो दूसरा किसी अन्य पेशेंट को लाने गया हुआ था। अब सवाल उठता है ग्रामीण स्तर पर बहाल आशा कर्मियों की या तो वह अपना दायित्व का निर्वहन सही तरीके से नहीं कर रही या फिर खुद उसके अंदर प्रशिक्षण का अभाव है।अगर अपनी कार्यकुशलता के अनुरूप आशा कर्मी लोगों को जागरूक करती और समय पर इलाज व पोषाहार की जानकारी देती तो इस तरह की घटना को रोका जा सकता था। इधर घटना में मृतक प्रसूता महिला पूनम देवी जिसकी उम्र लगभग 30 वर्ष बताई जा रही है पूर्व में ही 4 पुत्री की मां थी। उसका पति किशन दास प्रदेश में रहकर मजदूरी करता है। आर्थिक स्थिति काफी तंग बताई जाती है। आशा कर्मी बेबी कुमारी बताती है की दर्द की शिकायत मिलने पर मैं फौरन मरीज के घर पहुंची और ई रिक्शा के माध्यम से हॉस्पिटल ले आई लेकिन इसके पूर्व ही जच्चे बच्चे की मौत हो चुकी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Call now