रिपोर्ट:-विपुल कुमार मिश्रा.
दम तोड़ती बिहार की शिक्षा व्यवस्था हैचला गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का है जिसमें बच्चों को मिड डे मील के नाम पर किस तरह का खिचड़ी परोसा गया है यहां तक की विद्यालय के कुछ छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया की सफाई का कार्य हम ही को करना पड़ता है और कुछ बच्चों का कहना यह भी है कि भोजन में किसी-किसी दिन किड़ा भी निकल जाता है और मीनू चाट के हिसाब से ना ही फल दिया जाता है और ना ही मिड डे मील का कोई नियम माना जाता है
इससे भी दुर्भाग्य की बात है जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक से बातचीत किए तो उनसे पता चला की क्लास तीन चार और पांच का अब तक स्टूडेंट को बुक नहीं मिल पाया है जिस वजह से बच्चों को पढ़ाई में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और अब से एक या डेढ़ महीने के बाद परीक्षा आरंभ होने वाली है अब आप ही बताएं यह बच्चे एग्जाम कैसे देंगे जब इनको बुक मिल ही नहीं तो फिर यह एग्जाम कैसे देंगे यह एक सोचने वाली बात है और सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं और अगर किसी विद्यालय का यह स्थिति है तो यह एक जोरदार तमाचा है सरकार के उच्च अधिकारियों पर अब आप और हम अंदाजा लगा सकते हैं
क्या इससे हमारे बच्चों का भविष्य समझ जाएगा और हमारा बच्चा का दिमाग किस तरह विकसित होगा अगर उन्हें विद्यालय में मिड डे मील के नाम पर भी लुटा जाए तो और बहुत ही शर्म की बात है जहां शिक्षा की बात हो और वहां के लोग हैं अगर इस तरह के बर्ताव बच्चों के साथ करते हैं तो यह कहीं ना कहीं दूर भाग है हमारे राज्य की और इस विद्यालय का प्रखंड के तमाम उच्च अधिकारियों से विनती है इस पर संज्ञान ने और विद्यालय की स्थिति को यथाशीघ्र सुधरे जिससे बच्चों का भविष्य समझ सके और हम एक अच्छे बच्चे के अभिभावक बन सके