बेहद खुशनुमा मौसम तकरीबन 12 से 15 वर्षों के बाद इस तरह मानसून में खुलकर बारिश हुई, जिससे किसानों के चेहरे बाग-बाग हो गए और ऐसे खुशनुमा माहौल और मौसम के बीच हथि्या नक्षत्र में माता बहनों ने तीन दिवसीय जीवित्पुत्रिका पर्व का पहला दिन आज नहाए खाए के साथ शुरुआत की। इसमें महिलाएं बहने अपने नजदीक के सरोवर, नदी, तालाब आदि जगहों पर एक साथ एकत्रित हो नियम और निष्ठा के साथ स्नान ध्यान कर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से भगवान को भोग लगाकर आज नहाए खाए की शुरुआत करी।
आज बनने वाले व्यंजनों में खासकर सब्जी में झिगली ,कचचू, नौनी साग का काफी महत्व होता है ।इसके अलावा डलिया सजाने के लिए फल, मिठाइयां ,नारियल ,खाजा का बड़ा महत्व है ।नहाए खाए के ठीक अगले सुबह सूर्योदय से पूर्व दही चूड़ा खाने की रीत है ।
मां बहनें अपने पुत्रों के स्वस्थ, दीर्घायु, खुशहाल जीवन के लिए यह पर्व या व्रत रखती हैं ।हिंदू धर्म में इसका खासा महत्व है। इसके दूसरे दिन खड़ा उपवास माताएं बहने बिना जल और अन्य के रखती हैं। शाम के वक्त डलिया सजाकर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, जिसे अगले दिन यानी तीसरे दिन पूरे विधि विधान के साथ स्नान ध्यान के उपरांत पुत्र के हाथों के द्वारा डलिया खुलवाकर इस पर्व को संपन्न करवाया जाता है!