रिपोर्ट:-गोपाल जी कश्यप.
छोटे-छोटे लेकिन ज्वलंत मुद्दों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने की जिद्द ही पहचान बन चुकी है ,समाजसेवी अधिवक्ता विनोद कुमार पंजा का। जमीन से जुड़े ,अहंकार से पड़े , व्यवहार से सुशील ,सौम्य और मृदु भाषी व्यक्तित्व के धनी इस व्यक्ति ने अपना तन ,मन ,धन गरीब, बेबस ,असहाय, लाचार और उस अंतिम घर और अंतिम व्यक्ति तक समर्पित कर दिया है
और वहां तक पहुंचने की कोशिश की है जहां की झूठे वादे झूठे सपने और सब्जबाग दिखाकर उन्हें ठगने का काम किया हैजो अभी भी सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न सरकारी लाभो से वंचित,कुंचित और शोषित है। बिहार के ऐसे विभिन्न गांवों के ऐसे दबे ,कुचले ,शोषित वंचित,व किसान वर्गों के बीच अपनी अलग पहचान से जाना जाने वाला यह युवा बड़ा ही कर्मठ ,धैर्यशील और जुझारू व्यक्तित्व का धनी है।
एन एन एम न्यूज़ के माध्यम से इन्होंने जो संदेश आम जनता को दिया है , उसमें उन्होंने दिल को छूने वाली बात कहीं ,उन्होंने कहा कि मुझे दिखावे का शौक बचपन से ही नहीं रहा है, मैं भी एक गरीब घर का बच्चा हूं और मुझे अनुभव है की जिंदगी जीने के लिए, जिंदगी में कौन-कौन सी असाध्य लड़ाई लड़नी पड़ती है ।मैं चाहता हूं कि बांका की जनता की मैं एक सबल सच्चा और प्रखर आवाज बन पाऊं ,उनके लिए मैं समर्पित हो जाऊं ,उन्हें मुझ पर अटूट, सच्चा विश्वास और गर्व महसूस हो ।
ईश्वर और जनता की अगर इच्छा हुई तो मैं समाज कल्याण संघर्ष मोर्चा बिहार के सचिव के रूप में एक ऐसी मशाल जलाना चाहता हूं जिसकी लौ, जिसकी जलती ज्वाला एक हाथ को साधती हुई ,हजारों ,लाखों करोड़ हाथों तक पहुंच कर बिहार राज्य के इस उपेक्षित अति पिछड़े बांका जिला के शिक्षा व्यवस्था ,स्वास्थ्य व्यवस्था और किसानो की दयनीय स्थिति के लिए एक ऐसा प्रचंड तेज बिखेरे जिसके प्रखर किरणो से सरकार ,शासन प्रशासन को बांका जिले में छिपी हुई
अभूतपूर्व असीम संभावनाओं के प्रति अपना ध्यान केंद्रित करना पड़े इसकी सबलता और प्रबलता के ज्ञान का आभास हो सके ऐसा प्रतीत हो सके कि पूरे भारत देश के अग्रणी विकास में बांका जिला भी अपना अतुल्यनिय योगदान दे सकता है और यह जिला भी देश के अग्रणी राज्यों में से एक उत्कृष्ट जिले के रूप में अपनी छाप छोड़ सकता है। यही मेरी अंतिम लड़ाई अपनी जिंदगी के अंतिम सांसों से है , ताकि मैं उनकी लड़ाई बेखौफ और पाक साफ लड़ सकूं।।जय हिंद, जय भारत ,जय बिहार ,जय बांका।