“वोटिंग का अधिकार” लोकतंत्र मे चुनाव के इस महापर्व पर वोटरों के लिए विशेष संदेश.

गोपाल जी कश्यप की कलम से.

लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत “वोटिंग का अधिकार” लोकतंत्र मे चुनाव के इस महापर्व पर वोटरों के लिए विशेष संदेश :-:-:- उठो, जागो और अपने अधिकार का उपयोग करो, सजग और सचेत रहो, प्रत्येक 5 वर्षों के अंतराल पर मिलने वाली तुम्हारी इस ताकत का उपयोग तुम किसी के बहकावे में व्यर्थ मत गवांओ

स्वार्थ की रोटी पकाने वालों से परहेज करो, सबल और सार्थक बनो, झूठे बहकावे में मत आओ, खुद के अधिकार का हनन मत होने दो, कुछ पैसों ,मुर्गी और दारू पर मत बिका करो , समर्थ, सार्थक और बुद्धिजीवी को चुनो, जो देश और तुम्हारी चिंता करें उसे चुनो,होली की खुमार , भारत सरकार के लोकसभा चुनाव का आगाज और बिहार सरकार की पूर्ण शराबबंदी की लक्ष्मण रेखा को लेकर माहौल में गजब की सरगर्मी बनी हुई है।

ऐसे में चुनाव से पहले और आचार संहिता लागू होने से पूर्व एसएसबी जवानों के साथ स्थानीय थानो के थाना इंचार्ज का विभिन्न चौक चौराहा सहित संवेदनशील जगह पर फ्लैग मार्च इस ओर इंगित कर रहा है की आने वाला समय पूरे चाकचौबंध ,कड़ी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम की विसात पर विछ़ा हुआ होगा, जिस पर शह और मात का खेल खुद की कुवत ,कुशल नेतृत्व, और योग्यता पर पर निर्भर करेगा । “इस बार आसमान पर तबीयत से पत्थर फेंकने वालों को सुराग नहीं मिलने वाली है” ,

क्योंकि भारत देश का हर एक नागरिक अब जागरूकता की ओर अग्रसर हो चला है । उसे अच्छे- बूरे ,झूठे -सच्चे ,विकास का पैमाना समझ आ गया है! अब उन्हें झूठे स्वप्न और छद्म वादे कर बरगलाया नहीं जा सकता। उन्हें अपनी अहमियत ,काबिलियत और सामने वाले का चेहरा साफ शीशे में परिलक्षित होता दिखाई जान पड़ता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अब लोगों के अंदर या यूं कहें प्रत्येक वोटरों के अंदर यह स्वाभिमान जग चुका है की उसे अपना वोट का अधिकार किसे, कब और क्यों दिया जाना चाहिए। उन्हें क्षणिक लुभावने सब्जबाग दिखाकर दिग्भ्रमित नहीं किया जा सकता ।

उनके अंदर की मानसिकता इतनी तीव्र, प्रबल और प्रखर हो चुकी है कि उसे यह पता हो चुका है कि आने वाले समय में कौन , कब ,क्यों और किस रूप में देश और राज्य की तरक्की के लिए अपना सर्वस्व त्याग दे सकता है, और जनसाधारण तक के लिए अपने को समर्पित कर सकता है। जिस प्रकार एक नवजात शिशु का पहला शिक्षक उसके माता-पिता और पहला विद्यालय उसका स्वयं का घर होता है ,उसी प्रकार लोकतंत्र के इस महापर्व चुनावी समर में वोटरों की स्वयं की मानसिकता उसकी पहली प्राथमिकता, मजबूत देश उसकी सबसे बड़ी सोच, और वोटिंग का अधिकार उसकी सबसे बड़ी ताकत, यही तय करती है

आने वाले समय में देश का नेतृत्व क्षमता और बागडोर किस मजबूत कंधे और सधी हुई सोच वह मानसिकता वाले व्यक्ति को दी जानी चाहिए ताकि आने वाले समय में देश तरक्की के नई बुलंदियों को , मजबूत नींव वाली ऊंचाइयों के साथ एक ऐसी इमारत खड़ी करें, जिस पर सबों को नाज हो, गौरव हो और इतिहास के पन्नों पर उसे स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाने के लिए मजबूर हो जाना पड़े ।इसलिए लोकतंत्र के सबसे बड़े किरदारों

तुम अपनी विवेक ,अपने विचार और और धर्म को न्याय के तराजू पर खड़ा उतारने की कोशिश करना ताकि, आने वाला पीढ़ी तुम्हारे कुशल नेतृत्व क्षमता से चुनने वाले, और इस लोकतांत्रिक साम्राज्य की बागडोर संभालने वालों की जय बोल सके।” जय हिंद – जय भारत, जय जवान – जय किसान, जय लोकतंत्र”!

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