मारपीट मामले में पुलिस कप्तान डॉ. सत्य प्रकाश ने एसडीपीओ को दिया जांच के निर्देश

रिपोर्ट:-गोपाल जी कश्यप.

विगत 3 अप्रैल की रात बाराहाट थाना क्षेत्र के घोषपुर गांव से लगभग 2:00 बजे रात्रि को टोटो चालक सुमित कुमार यादव के घर का दरवाजा तोड़ कर उसे घसीटते हुए बेरहमी से पीटते हुए थाना लाया गया, जहां लाकर रही सही कसर निकालते हुए उसके बाएं पैर को भी तोड़ दिया गया और बुरी तरह जख्मी कर दिया।

इस संबंध में पीडित देवेंद्र यादव का पुत्र सुमित कुमार यादव ने बांका मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के अदालत में नालसीवाद दायर कर दिया है। फिलवक्त सुमित कुमार यादव भागलपुर के मायागंज अस्पताल में इलाजरत है ,जहां उसके टूटे हुए बाएं पैर की डॉक्टर ने प्लास्टर कर बेहतर इलाज के लिए अपने ऑब्जर्वेशन में रखा है।

इधर सुमित कुमार यादव ने जानकारी दी की बाराहाट थाना अध्यक्ष दीपक पासवान ने हमारे घर का दरवाजा तोड़कर जबरदस्ती हमारे कमरे में घुस गए, उस समय मैं अपनी पत्नी के साथ कमरे में सोया हुआ था, इसी क्रम में थानाअध्यक्ष ने गाली गलौज शुरू कर दी ,हमारी पत्नी डर से चिल्लाते हुए वहां से हट गई ,फिर उनके साथ पांच अन्य सशस्त्र बलों ने मिलकर मेरे छाती पर लात घुसे ,लाठी डंडे व राइफल के कुंद्दे से पीटते हुए हमें घसीट कर ले जाने लगे।

पुलिस पदाधिकारी ने मेरे परिजनों के द्वारा विरोध करने पर मुझे डकैती के केस में गिरफ्तार करने की बात कही और जब मेरे परिजन ने कहा कि इनका कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है ,यह टोटो चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन करता है, तो इस पर पुलिस पदाधिकारी ने गालियां देते हुए परिजनों को भी उठाकर जेल दे देने की बात कही।

बताते चलें कि बाराहाट थाना अध्यक्ष दीपक पासवान विगत वर्षों में अपने नवादा बाजार सहायक थाना के कार्यकाल के दौरान अपराधिक गतिविधियों को रोकने ,असलहों को पकड़ने और शराब की रोक पर हद तक कामयाबी पाने के लिए आधे दर्जन से अधिक बार पुलिस कप्तान बांका के द्वारा पुरस्कृत एक सफल और चुस्त दुरुस्त पदाधिकारी के रूप में जाने जाते हैं।

ऐसे में उनके द्वारा इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत उनके वर्दी के हऩप पर गाज गिरा सकती है ।मालूम हो कि उनके गैर जिम्मेदाराना हरकत का मामला मानवाधिकार आयोग तक भी पहुंच गया है।

ऐसे में देखना है की बौंसी एसडीपीओ अर्चना कुमारी के कुशल नेतृत्व में निष्पक्ष और सही तरीके से जांचों उपरांत क्या एक आम जनता कुमार यादव को न्याय मिल पाती है या फिर वर्दी……..?

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