जिले में सिकल सेल एनीमिया जागरूकता कार्यक्रम सह स्क्रीनिंग गुरुवार से शुरू हो गया है. जिसका विधिवत उद्घाटन डीएम अंशुल कुमार ने समुखिया मोड़ पंचायत के ढाडाबारी गांव से किया है.
इस दौरान सभी अनुसूचित जनजाति के करीब 120 ग्रामीणों को सिकल सेल एनीमिया बीमारी से बचाव के लिए प्रयोगशाला में जांच की गयी. साथ ही जागरूक किया गया. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह कार्यक्रम जिले में आगामी 3 जुलाई तक चलेगी. जिसके तहत शिविर आयोजित कर सभी अनुसूचित जनजाति परिवारों के सदस्यों का स्क्रीनिंग किया जाना है.
जिले में 1 लाख अनुसूचित जनजाति लोगों के बीच इस बीमारी का जांच किया जाना है. स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की मानें तो सिकल सेल से बचाव के लिए गर्भवती होने से पहले एक आनुवंशिक परामर्शदाता से मिलना मददगार हो सकता है. एक परामर्शदाता आपको सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बच्चें को जन्म देने के जोखिम को समझने में मदद करेगा. साथ ही संभावित उपचार, निवारक व प्रजनन विकल्पों के बारें में जानकारी दिया जायेगा.
चिकित्सक ने बताया है कि सिकल कोशिकाएं आसानी से टूट जाती है. और मर जाती हैं. आम तौर पर लाल रक्त कोशिकाएं करीब 120 दिनों तक जीवित रहती है. उसके बाद उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है. लेकिन सिकल कोशिकाएं आम तौर पर 10 से 20 दिनों में मर जाती है. जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है. इसे एनीमिया के रूप में जाना जाता है. पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं के बिना शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. जिससे थकान महसूस होती है. कार्यक्रम में सीएस अनीता कुमारी सहित अन्य मौजूद थे.