प्राचीनतम सुजा तालाब के किनारे धार्मिक पौधों का किया गया वृक्षारोपण

रिपोर्ट:-गोपाल जी कश्यप.

आज दिनांक 1 सितंबर 2024 रोज रविवार को राजवनेश्वरनाथधाम महादेव मंदिर और बांका जिला के रजौन प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रजौन थाने से सटे अति प्राचीनतम धरोहर सुजा तालाब के किनारे धार्मिक पौधों का वृक्षारोपण किया गया।इन पौधों में आम,पीपल, जामुन,पाकड़ और कदम के पौधे शामिल है। बताते चलें कि आज इस सामाजिक कार्य और प्रकृति की सौंदर्यता में चार चांद लगाने,प्राकृतिक स्थिरता और विश्व स्तरीय ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं के निवारण हेतु सामाजिक स्तर पर एक प्रेरणादायिक कदम को बढ़ाते हुए रजौन थाने के वर्तमान सर्किल इंस्पेक्टर रंजीत कुमार,राजवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर के कोर कमेटी के अध्यक्ष सह युवा व्यावसायी बासुकीनाथ सिंह, राजेंद्र प्रसाद साह,पूर्व सरपंच प्रदीप कुमार सिंह,वरिष्ठ अभिभावक देवनंदन श्रीवास्तव,अवधेश कुमार झा, पप्पू शर्मा,महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी उदयकांत झा,जवाहर पंडित,चंदन कुमार के सम्मिलित सहयोग से पूरा किया गया।

आईए जानते हैं क्यों इतने सारे वृक्षों में आम,पीपल,जामुन,पाकड़, और कदम के पौधे चुने गए। इसके पीछे भी धर्म और प्रकृति से जुड़ी हुई कई मान्यताएं हैं,जिसे वैज्ञानिक रूप से भी सही ठहराया गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है की प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। हिंदू धर्म को वृक्षो का धर्म अगर कहें तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि यह देश आम,आँवला,बरगद,पीपल, केला,नीम,आदि कई पौधों को समय-समय पर सींचता और पूजता है।पीपल के पेड़ का महत्व हिंदू रीति रिवाज में सबसे ऊपर है।यह पेड़ चौबी घंटे ऑक्सीजन की प्रचुरता के लिए जाना जाता है।पीपल के वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है।यह औषधिय गुणो से परिपूर्ण वृक्ष माना गया है। यह वृक्ष बड़ा होकर विशाल रूप धारण करता है,जिस पर कई पशु पक्षियों का बसेरा होता है।पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है।

ऐसी मान्यता है भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान भी पीपल वृक्ष के नीचे ही दिया था।वहीं कदम के पेड़ भगवान कृष्ण को सबसे प्रिय है।इसे हिंदू धर्म में ज्ञान आत्मबल और आध्यात्मिक विकास से जोड़ा गया है।इस पेड़ के लगाने से मां लक्ष्मी का वास होता है।वहीं आम के वृक्ष की महत्ता पर अगर हम प्रकाश डालें तो यह पेड़ धार्मिक महत्व में अग्रणी है। आम के पेड़ के पत्ते देवी महालक्ष्मी और प्रेम के प्रतीक के रूप में माना जाता है।शादी विवाह,शुभ अनुष्ठान,पूजा आदि कार्यों में इस पेड़ के पत्ते काफी उपयोग किए जाते हैं।यह एक फलदार और शीतल छाँव प्रदान करने वाला वृक्ष है।वहीं जामुन वृक्ष की विशेषता पर अगर हम ध्यान दें,तो सर्वप्रथम दक्षिण दिशा में इसे लगाना शुभ माना गया है।ऐसी मान्यता है की कन्या प्राप्ति हेतु इस वृक्ष का रोपण कार्य सिद्ध माना गया है।इस पेड़ के फल,बीज और छाल औषधिय गुणो के भंडार माने गए हैं। तो पाकुड़ के वृक्ष भी कहीं किसी से कम नहीं है। इसे भी औषधि रूप में जाना जाता है।यह धूप और छांव में सामान्य रूप में रहता है।इस पेड़ को भी ऑक्सीजन का पावर हाउस कहा गया है।यह पेड़ भी पीपल की तरह दिन और रात ऑक्सीजन छोड़ता है।

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